उज्ज्ैन। महापुरुष अपने युग और समाज की देन होते हैं। डॉ. अम्बेडकर आधुनिक युग के उन विरले महापुरुषों में से थे, जिन्होंने युग व समाज की स्थापित व्यवस्था एवं वैचारिकी से समझौता नहीं किया, बल्कि परम्परात्मक समाज की अन्याय एवं शोषणकारी शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष कर क्रांतिकारी परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया। बाबा साहेब की दूरदर्शिता, उनकी भविष्य के प्रति चिंता ने ही बेहतर युग एवं बेहतर समाज की आधारशिला रखी है।
उक्त विचार विक्रम विश्वविद्यालय की डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कही।
प्रमुख वक्तव्य डॉ. अम्बेडकर प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. डी.पी. मांझी ने दिया। डॉ. मांझी ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का लोकतांत्रिक समाजवाद सामाजिक समरसता, सामाजिक राजनीतिक क्षमता ही है।
'डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर का प्रजातांत्रिक समाजवादÓ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार का बीज वक्तव्य इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की डॉ. अम्बेडकर पीठ के चेयर प्रोफेसर किशोर गायकवाड़ ने कहा कि बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्रता, समानता और मातृत्व से लोकतांत्रिक समाजवाद की नींव रखी है। इसके आर्थिक समानता पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करना होगा। सर्वे भवन्तु सुखिन:, बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय ही लोकतांत्रिक समाजवाद की नींव है।
डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयेाजित राष्ट्रीय वेबिनार में १४ राज्यों के ९४ शोधार्थी, विषय विशेषज्ञ, प्रोफेसर, वरिष्ठ विचारकों ने ऑनलाइन अपने विचार रखे। एक शोधार्थी ओमान से भी शामिल हुआ। तकनीकी सत्र में विद्वानों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के रशियन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. संदीप पाण्डेय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. वीर अभिमन्युसिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर पी.बी. खत्री, रायपुर छत्तीसगढ़ की समाजशास्त्र की प्रोफेसर मनीषा महापात्र, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के विद्यार्थी कल्याण संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ. आर.के. अहिरवार, डॉ. जी.आर. गांगले ने अपने विचार व्यक्त किए। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. दलजीत ने पॉवर पॉइंट प्रजेन्टेशन दिया। विक्रम विश्वविद्यालय के शोधार्थी अखिलेश त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रीय वेबिनार के सम्पूर्ण संयोजन डॉ. अम्बेडकर पीठ के प्रभारी आचार्य डॉ. एस.के. मिश्रा ने किया। विशेष सहयोग जे.एन.यू. नई दिल्ली के रशियन स्टडजी के डॉ. संदीप पाण्डेय का रहा। शब्दाभिनंदन व संचालन डॉ. एस.के. मिश्रा ने किया। तकनीकी सत्र का संचालन शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया।