कोई भूखा तो नही सोया इसलिए रात में उठाकर पूछते है आपने खाना खाया  - स्वर्णिम भारत मंच चौहत्तर हजार लोगों तक भोजन पैकेट बनाकर वितरित कर चुका है 
कोई भूखा तो नही सोया इसलिए रात में उठाकर पूछते है आपने खाना खाया 

- स्वर्णिम भारत मंच चौहत्तर हजार लोगों तक भोजन पैकेट बनाकर वितरित कर चुका है 

उज्जैन। लॉक डॉउन के दौरान बाबा महाकाल की नगरी में जरूरतमंद लोगों को समय पर भोजन मिले उंन्हे भूखा नही सोना पड़े। उसके लिए बाइस मार्च से ही स्वर्णिम भारत मंच भोजन सेवा कर रहा है। 53 दिनों में स्वर्णिम भारत मंच 74 हजार लोगों तक भोजन पैकेट बनाकर वितरित कर चुका है  अब  नगर निगम द्वारा भोजन वितरण किया जा रहा है  तो   प्रतिदिन पांच सौ पैकेट नगर निगम को स्वर्णिम भारत मंच बनाकर दे रहा है इसी प्रकार  लगभग आठ सौ पैकेट स्वर्णिम भारत मंच  के कार्यकर्ता वितरित कर रहे है  स्वर्णिम भारत मंच के कार्यकर्ता प्रतिदिन सड़को पर जाकर पूछते है कि  कोई भूखा तो नही सोया है।

 

स्वर्णिम भारत मंच के संयोजक दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि बाबा महाकाल की नगरी में एक एक व्यक्ति रात में पेट भर कर भोजन कर सके उसके लिए जिला प्रशासन के साथ कई संस्थाए मिलकर जरुरतमन्दों को भोजन उपलब्ध करवा रही है कलेक्टर आशीष सिंह की मंशानुसार नगर निगम भी वितरण व्यवस्था में जुड़ गई है इससे मुख्यमंत्री  हेल्प लाइन पर  शिकायत करने वालो को तत्काल भोजन मिलने लगा है नगर पालिका निगम को स्वर्णिम भारत मंच वितरण हेतु प्रतिदिन पांच सौ पैकेट बनाकर दे रहा है हालांकि  शहर भर में कई ऐसे जरूरतमंद है जिन्हें निगम द्वारा भोजन नही मिल पाता है तो उन्हें  स्वर्णिम भारत मंच के कार्यकर्ता जाकर वितरण करते है स्वर्णिम भारत मंच प्रतिदिन एक हजार से बारह सौ भोजन पैकेट बना रहा है। अब तक लॉक डॉउन में  चौहत्तर हजार लोगो को  भोजन पहुँचाया जा चुका है।

वृद्धजनो हेतु  निःशुल्क भोजन सेवा करने वाला पहला संगठन है स्वर्णिम भारत मंच

स्वर्णिम भारत मंच एक अकटुम्बर दो हजार उन्नीस से वृद्धजनों व असहायजन के लिए निःशुल्क भोजन घर पहुंचाता है इसके कारण स्वर्णिम भारत मंच के पास जरूरमन्दों की सूचना अधिक आती है  उज्जैन में पहला  स्वर्णिम भारत मंच एक ऐसा संगठन है जो वृद्धजनो ,दिव्यंगों शोकाकुल परिवार में भोजन उपलब्ध कराता है।

 

महाकाल की नगरी में कोई भूखा नही रहे इसलिए रात में जाकर सड़कों पर सोने वाले लोगो से स्वर्णिम भारत मंच की टीम पूछती है कि आपको भोजन मिल गया क्योंकि कई बार सड़क पर बैठने छूट जाते है।