विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पर हुआ अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद
वैश्विक परिदृश्य में भारतीय संस्कृति और हिंदी पर हुआ विमर्श
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की हिंदी अध्ययनशाला और गांधी अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर 14 सितंबर 2019 को मध्याह्न में अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन हुआ। यह परिसंवाद वैश्विक परिदृश्य में भारतीय संस्कृति और हिंदी पर केंद्रित था। वाग्देवी भवन में आयोजित इस परिसंवाद के मुख्य अतिथि रोमा सांस्कृतिक विश्वविद्यालय, बेलग्रेड, सर्बिया के चांसलर एवं दुनिया की यायावर जातियों पर कार्य करने वाले प्रसिद्ध विद्वान पद्मश्री डॉ श्यामसिंह शशि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बालकृष्ण शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि लोक संस्कृतिविद डॉ पूरन सहगल, मनासा थे। विषय प्रवर्तन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया।
प्रो श्यामसिंह श्याम ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपनी भाषा को लेकर गर्व होना चाहिए। विश्व फलक पर भारतीय संस्कृति के विस्तार में हिंदी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हमारी संस्कृति और राष्ट्रभाषा ने अलग अलग देश, विचार और क्षेत्र के लोगों को आपस में जोड़ रखा है। हिंदी के माध्यम से विज्ञान, तकनीकी और समाज विज्ञान के क्षेत्र में गुणवत्ता युक्त शोध होना चाहिए।
कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में हिंदी को लेकर प्रतिबद्धता जरूरी है। हिंदी के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखते हुए उसे अपनी जड़ों से जोड़े रखना चाहिए। संचार माध्यमों ने हिंदी को विश्व पटल पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।
प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति को वस्तुतः संस्कृति की अनवरत यात्रा में भारतीय मार्ग के रूप में देखा जा सकता है। भारतीय संस्कृति सैकड़ों वर्षों से विश्व-संस्कृति के मूलाधारों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है। संस्कृति किसी भी राष्ट्र के जन-समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति यदि उच्चतम चिंतन का मूर्त रूप है तो भाषा उसका माध्यम है। विश्वभाषा हिन्दी सही अर्थों में भारतीय संस्कृति और परम्पराओं की समर्थ संवाहिका है।
परिसंवाद में प्रो प्रेमलता चुटैल, श्री ललित शर्मा, रायपुर, श्री विनोद मिश्रा सुरमणि, दतिया ने विचार प्रस्तुत किए।
संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया।
इस अवसर पर अतिथियों औऱ उपस्थित जनों द्वारा देश - दुनिया की हिंदी पत्र - पत्रिकाओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। कार्यक्रम में अनेक प्राध्यापक, साहित्यकार और संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया।